कंप्यूटर मुख्य रूप से दो भागों से मिलकर बना होता है जिन्हें सॉफ्टवेयर (Software) और हार्डवेयर (Hardware) कहते हैं। हार्डवेयर किसी कंप्यूटर का वे हिस्सा होते है जिनसे मिलकर कंप्यूटर का ढांचा (Structure) बनता है। कंप्यूटर और उससे संलग्न सभी यंत्रों को हार्डवेयर कहते हैं। हार्डवेयर को हम देख सकते है और छू सकते है जैसे, Keyboard, Mouse, Speaker, monitor, web camera, Printer, Scanner आदि। इस पोस्ट में हम Parts of computer क्या-क्या होते हैं इस पर In Hindi में चर्चा करेंगे।
कंप्यूटर के संचालन के लिए निर्मित प्रोग्रामों को सॉफ्टवेर कहते हैं। सॉफ्टवेयर निर्देशों (instructions), डेटा (Data) या प्रोग्राम (Program) का एक सेट है जिसका उपयोग कंप्यूटर को संचालित (Operate) करने तथा विशिष्ट कार्यों को निष्पादित या कार्यान्वयन करने के लिए किया जाता है। यह हार्डवेयर के विपरीत है, जो कंप्यूटर के भौतिक (Physical) पहलुओं का वर्णन करता है। सॉफ़्टवेयर एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग किसी डिवाइस पर चलने वाले Application, Script और Program को संदर्भित (Refers) करने के लिए किया जाता है।
Basic Parts of computer Hindi
इस लेख में हम वर्तमान समय में प्रयोग किये जा रहे माइक्रो कम्प्यूटर के मुख्य भागों और सहायक उपकरणों की जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके अलावा यह भी जानेंगे की कौन सा सहायक उपकरण क्या कार्य करता है।
Monitor (मॉनिटर)

एक कंप्यूटर का मॉनिटर television की तरह ही होता है। मॉनिटर की स्क्रीन पर जो चित्र दिखाई देते हैं वे छोटे-छोटे बिन्दुओं से मिलकर बने होते हैं जिन्हें “पिक्सेल” (Pixcels) कहते हैं। मॉनिटर कंप्यूटर की output device होती है जिसमे कंप्यूटर द्वारा किये गए कार्य का विवरण (Result) दिखाई देता है।
Mouse (माउस)

माउस हाथ में पकड़ा जाने वाला एक ऐसा Device होता है जिसके द्वारा की-बोर्ड का इस्तेमाल किये बिना कंप्यूटर का नियंत्रण किया जा सकता है।
Keyboard (की-बोर्ड)

यह एक input device होती जिसके द्वारा कंप्यूटर को Data भेजा जाता है। की-बोर्ड का इस्तेमाल अधिकतर लिखने के लिए ही किया जाता है। कंप्यूटर में सर्वाधिक उपयोग इसी का किया जाता है, इसके द्वारा किसी भी भाषा में आसानी और Fast Typing की जा सकती है। इसे कंप्यूटर से जोड़ने (connect) के लिए USB Port में लगते हैं।
Printer (प्रिंटर)

प्रिंटर एक ऐसा साधन है जो किसी भी दास्तावेज (Document) को अपने कंप्यूटर पर प्रिंट करता है। प्रिंटर कई प्रकार के होते हैं जैसे-
- Dot Matrix Printer ( डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर)
- Line printer (लाइन प्रिंटर)
- Inkjet Printer (इंकजेट प्रिंटर)
- laser Printer (लेजेर प्रिंटर) आदि
लेज़र प्रिंटर तकनिकी में सर्वोत्तम होते हैं लेकिन इनकी कीमत भी सबसे अधिक होती है। ये एक फोटो-कॉपीयर मशीन की तरह ही होता है अंतर सिर्फ इंतना है कि इनमे फोटो-कॉपीयर मशीन की तरह लिखित दस्तावेज (Document) पर फोटोग्राफ करने के बजाय यह आकृति बनाने में लेज़र बीम (Laser Beam) का प्रयोग करता है तथा यह बेहतर किस्म के प्रिंटआउट निकलता है।
Scanner (स्कैनर)

स्कैनर एन ऐसा device होता है जो एक फोटोग्राफ के प्रतिबिम्ब या जानकारी को सीधा कंप्यूटर में संचित कर सकता है। यह एक फोटोग्राफी मशीन की तरह कार्य करता है अंतर सिर्फ इतना है कि एक पेपर पर कॉपी बनाने की जगह यह कंप्यूटर में फोटोकॉपी बनता है।
Memory Card (मेमोरी कार्ड)

आप सभी इसका नाम कभी-न कभी जरूर सुना होगा। यह आमतौर पर छोटे, पोर्टेबल Device, जैसे कैमरा और मोबाइल फोन आदि में अधिकतर उपयोग किए जाते हैं। Memory Card एक इलेक्ट्रॉनिक डेटा स्टोरेज डिवाइस है जिसका उपयोग डिजिटल जानकारी, मीडिया और डेटा फ़ाइलों को संग्रहीत (Store) करने के लिए किया जाता है। मेमोरी कार्ड को फ्लैश कार्ड के नाम से भी जाना जाता है।
DVD Drive
यह एक ऐसा इलेक्ट्रोनिक Device है जिसे विशेष रूप से DVD (Digital Versatile Disc) या CD (Compact Disc) का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
Central Processing Unit (केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई)
इसे CPU भी कहा जाता है, CPU कंप्यूटर के अलग-अलग भागों को नियंत्रित करने वाला केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई है। सीपीयू कंप्यूटर के अन्य हिस्सों को नियंत्रित करने के लिए Signal भेजता है, उदाहरण के लिए जैसे मनुष्मय का मस्तिष्क शरीर किसी अंग को नियंत्रित करता है। कम्प्यूटर का दिल और दिमाक ‘सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट’ होता है। कम्प्यूटर के इस अंग के पास सूचनाओं का भंडार होता है। जब हम कोई कोई कमांड देते हैं तो कम्प्यूटर का यही उपकरण उसे खोजकर हमारे सामने लाता है। इस प्रकार इनपुट को आउटपुट में बदलने का काम करता है।

सीपीयू निवेश इकाई से विद्युत् स्पंदों अथवा ‘बिटो’ (8 बिट = 1 बाईट अर्थात 1 अक्षर) रूप में डाटा हासिल करता है। वहाँ से मेमोरी अंकगणितीय तर्क इकाई से पहुंचाकर उसका विश्लेषण करता है और परिणाम आउटपुट है, जिसे आप मॉनिटर या प्रिंट के रूप में देख सकते हैं।
सिस्टम यूनिट
यह पॉवर हॉउस होता है। यह किसी भी pc को सभी क्रियाओं को नियंत्रित करता है। यह दो रूपों में आता है डेस्कटॉप और टॉवर टाईप। कम्प्यूटर के सभी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट इसी में लगे होते हैं। एक कार्ड की-बोर्ड के लिए, दूसरा मॉनिटर के लिए और तीसरा प्रिंट के लिए लगाया जा सकता है। अन्य स्लॉट्स में आवश्यकतानुसार कार्ड लगाकर कम्प्यूटर को बहुउद्देशीय बनाया जाता है। जैसे- फैक्स, माडेम, कार्ड, इन्टरनेट, ध्वनि, फिल्म आदि।
सीडी रोम

यह प्लोपी की तरह डाटा स्टोरेज का माध्यम है। साथ ही इसमें डाटा बैकअप की भी सुविधा है। एक सीडी में आसानी से 640 मेगाबाइट तक डाटा लिखा अथवा संग्रहित किया जा सकता है। साथ ही इसमें संगीत और वीडियोज को रिकॉर्ड किया जा सकता है। पहले सीडी पर एक ही बार लिखा जा सकता था मगर अब जो सीसी उपलब्ध हैं, उस बार-बार लिखा जा सकता है।
Internal parts of computer in Hindi
कंप्यूटर के आंतरिक भाग
Hard Disk and Floppy Disk Drive
सूचन स्टोर करने लिए कंप्यूटरों में डिस्क (Disc or Disk) का इस्तेमाल होते हैं। डिस्क दो प्रकार के होते हैं, हार्ड डिस्क तथा फ्लॉपी डिस्क –Hard Disc – यह कंप्यूटर की स्थाई Disc होती है। यह फ्लॉपी डिस्क की तुलना में आकार में बड़ी तथा गति म तीब्र होती है। यह एक स्थायी उपकरण है, इसे बाहर नहीं निकला जा सकता। इससे आप सूचनाओं को प्लोपी में स्थानांत्रित कर सकते हैं। इसमें दोनों ओर चुम्कीय पदार्थ की पतली सी परत लगी होती है।

Floppy Disc – फ्लॉपी डिस्क का प्रयोग तब किया जाता है जब एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर पर Data का स्थानान्तरण करना होता है। कंप्यूटर के सामने भाग में एक खांचा होता है जिसने फ्लॉपी डिस्क लगाया जाता है जिसे Floppy Disc Drive कहते हैं। कम्प्यूटर के क्षेत्र में IBM ने प्लापी डिस्क लगाकर तहलका मचा दिया है। उसने लगभग 24वर्ष पूर्व 8 इंच व्यास वाली एक पतली प्लास्टिक की डिस्क बनायीं। बाद में छोटी डिस्क बनी। आज सवा तीन इंच वाली डिस्क प्रचलित है। इस पर लगभग डेढ़ मेगाबाइट तक की सूचनाएँ अंकित अथवा संग्रहित होती हैं। इस सूचनाओं को पढ़ने के लिए एक विशेष प्रकार की मशीन में घुमाया जाता है। इस मशीन को डिस्क ड्राईव कहते हैं। इस पर अंकित सूचनाओं को पढ़ने के लिए डिस्क के कवर एक आयताकार खुली पट्टी होती है, ड्राईव का हेड पढ़ता है।

RAM तथा ROM मेमोरी (यादृच्छिक अभिगम स्मृति)
कम्प्यूटर की मेमोरी दो प्रकार की होती है। अस्थायी एवं स्थायी। अस्थायी नाम से ही स्पस्ट है कि इसका प्रयोग गणना करते समय किया जाता है, जबकि स्थायी मेमोरी में सुचना हमेशा के लिए संग्रहित रहती है। आप अपनी अवश्यकताके अनुसार इसका प्रयोग करते है। अस्थायी मेमोरी का सम्बन्ध RAM (रैंडम ऐक्सेस मेमोरी) तथा स्थायी मेमोरी का सम्बन्ध ROM (रीड ऑनली मेमोरी) से है।

रैंडम एक्सेस मेमोरी को RAM के नाम भी जाना जाता है। इसे कंप्यूटर की इंटरनल मेमोरी माना जाता है। यह कंप्यूटर के मदरबोर्ड से जुड़ी होती है तथा डेटा, प्रोग्राम और साथ ही प्रोग्राम के परिणामों के भंडार के रूप में कार्य करती है। यह मेमोरी हमारे मस्तिष्क के उस हिस्से के जितनी होती है जहां हम अपने दैनिक जीवन के लिए आवश्यक सूचनाओं को संग्रहीत या याद करके रखते हैं। किसी प्रोग्राम को निष्पादित करने के लिए कंप्यूटर को भी इस कार्यक्षमता की आवश्यकता होती है। कंप्यूटर रैम से पढ़ने के साथ-साथ लिख भी सकते हैं।

रैम में लिखा गया डाटा परिमार्जन और परिवर्धन की दृष्टि से सरल होता है। आप इसे घटा और बढ़ा सकते हैं लेकिन इसका अस्तित्व अस्थायी होता है। जबकि रोम एक स्थायी स्मृति है। रोम का निर्माण करते समय उसमें कुछ ऐसे प्रोग्राम भर दिए जाते है जिसकी आवश्यकता कम्प्यूटर को हमेशा होती है। इसमें हम अपनी इच्छानुसार परिवर्तन नहीं कर सकते स्मृति की क्षमता और शक्ति किलोबाइट में आंकी जाती है। जैसे पहले 640 किलोबाइट की होती थी मगर अब 64 मेगाबाइट से 320 मेगाबाइट की मेमोरी आती हैं। साथ ही अलग से चिप लगाकर मेमोरी और बढ़ाई जा सकती है।
Integrated circuit (IC) एकीकृत परिपथ

इसे माइक्रोचिप, या चिप भी कहा जाता है, यह इलेक्ट्रॉनिक घटकों का एक संयोजन, जिसे एक इकाई के रूप में गढ़ा जाता है, जिसमें लघु सक्रिय उपकरण जैसे, ट्रांजिस्टर और डायोड और निष्क्रिय उपकरण जैसे, capacitors तथा resistors और उनके अंतर्संबंध अर्धचालक (semiconductor) पदार्थ मुख्यतः सिलिकॉन के एक पतले सब्सट्रेट पर बने होते हैं। एक आईसी सभी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का मूलभूत निर्माण खंड है।
SMPS (स्विच मोड पॉवर सप्लाई)

इसका पूरा नाम Switched-Mode Power Supply है। यह बिजली आपूर्ति इकाई (पीएसयू) है जिसका उपयोग आमतौर पर कंप्यूटर में वोल्टेज को कंप्यूटर स्वीकार्य सीमा में बदलने के लिए किया जाता है। इस डिवाइस में Power Handling इलेक्ट्रॉनिक घटक होते हैं जो Electrical Power को कुशलता से कंप्यूटर की आवश्यकतानुसार परिवर्तित करते हैं।
माईक्रोप्रोसेसर
सीपीयू का एक जटिल इलेक्ट्रोनिक सर्किट होता है। यह सिलिकॉन की एक छोटी-छोटी पट्टी पर बना होता है, जिसे बाहर से लगाने के लिए नीचे पिनें लगी होती हैं। यही माईक्रोप्रोसेसर कहलाता है। इसी माइक्रोप्रोसेसर चिप को ध्यान में रखकर कम्प्यूटर बनाया जाता है। कम्प्यूटर की क्षमता के आधार पर ही माइक्रोप्रोसेसर बनाया जाता है। कम्प्यूटर की गति में निरंतर विकास होता रहा है अब काफी माइक्रोप्रोसेसर मिलने लगे हैं। प्रत्येक कंप्यूटर में एक क्लॉक सर्किट होता है जो गाड़ी की तरह नियमित विद्युत संकेत देता रहता है।

यह क्लॉक जिस तेजी से संकेत देती है, कम्प्यूटर भी अपनी गणनाएं या अन्य कार्य उतनी तेजी से करता है। इसकी रफ़्तार को मेगाहर्ट्ज यानि कि एक सेकेण्ड के दस लाखवें हिस्से के रूप में आँका जाता है। माइक्रोप्रोसेसर की क्षमता को बिट्स में आँका जाता है। पहले 8 बिट वाले कंप्यूटर होते थे जबकि अब 16 से 32 बिट वाले प्रोसेसर होते हैं। अधिक बिट वाले प्रोसेसर का मतलब है कि अधिक क्षमता और तेज रफ़्तार, बड़े कम्प्यूटरों में सहायक प्रोसेसर चिप भी लगे होते हैं।
Motherboard
एक मदरबोर्ड इसे मेन सर्किट बोर्ड के नाम से भी जाना जाता है। यह सिस्टम के कई महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक घटकों, जैसे CPU (Center Processing Unit); RAM, मेमोरी, तथा अन्य कंप्यूटर हार्डवेयर घटकों के बीच संचार की अनुमति देता है तथा अन्य बाहरी उपकरणों के लिए कनेक्टर प्रदान करता है।

निष्कर्ष – इस पोस्ट में आपने कंप्यूटर पार्ट्स जैसे , माउस, कीबोर्ड, मॉनिटर, motherboard, RAM, CPU आदि के बारे में जाना। आशा करते यह जानकारी Parts of computer आपके लिए ज्ञानवर्धक साबित हो। Article पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।
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