सोमवार, जनवरी 15, 2024
हर साल की तरह इस साल भी मकर संक्रांति 15 जनवरी को है बस समय अंतराल बदल गया है। इस साल 14 जनवरी 2023 को रात्रि 08 बजकर 41 से शुरु होगी और 15 जनवरी को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर इसका समापन होगा इसलिए मकर संक्रांति का मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 06 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगा
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है।
भारत में शुरूआत के समय से ही प्रकृति को देवों का स्थान दिया गया है और मकर संक्रांति का त्योहार भी प्रकृति को ही समर्पितऔ है। दरअसल यह एक पूरी तरीके से वैज्ञानिक त्योहार है और सूर्य की स्थिति जो बदलती है उसका रंजीश त्योहार को मनाया जाता है। सनातन धर्म और हिन्दू धर्म में अधिकतर जो परंपराएं और मान्यताएं हैं वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही बनाई गई हैं।
भारतवर्ष में मकर संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में अलग अलग नामों से जाना जाता है और अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है। गुजरात में मकर संक्रान्ति को लोग उत्तरायण के नाम से जानते हैं। तो वहीं राजस्थान, बिहार और झारखंड में इसे सकरा कहा जाता है। कर्नाटका और केरला में केवल संक्रांति के नाम से जाना जाता है तो उत्तर प्रदेश में कहीं इसको खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।
हिंदू धर्म में माह को दो पक्षों में बांटा गया है। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। ठीक इसी तरह से वर्ष को भी दो आयनों में बांटा गया है। एक है उत्तरायण और एक है दक्षिणायन। अगर दोनों को मिला दिया जाए तो एक वर्ष पूरा हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन। से सूर्य की उत्तरायन गति प्रारंभ हो जाती है। इसलिए मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं। इसके अलावा पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। क्योंकि सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जिसे संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है। साल 2024 में जनवरी के 15 तारीख को मकर संक्रांति को पड़ेगा।
मकर संक्रांति मनाने के सारे वैज्ञानिक कारण ही नहीं हैं। इसके अलावा कुछ धार्मिक मान्यताएं भी हैं जैसे कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार आज के दिन यानि मकर संक्रांति के दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबा कर युद्ध की समाप्ति की घोषणा की थी। इसीलिए इस मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्मकता को समाप्त करने का दिन भी मानते हैं। कहीं कहीं आज के दिन पतंग उड़ाने का भी परंपरा होता है। पूरे भारत में इस त्योहार को हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का त्यौहार मनाने के पीछे जो मुख्य कारण और मान्यताएं थी वो यही हैं। आशा करते हैं हमारी यह पोस्ट आपको अच्छी लगी।