कहानी लेकन (Story writing) की कला निरंतर प्रयास द्वारा सीखी जा सकती है। एक छोटी कहानी को तीन हिस्सों में बंटा जा सकता है। 1. शीर्षक (heading), 2. कथावस्तु (Plot), 3. शिक्षा (Moral)। लेखक अच्छी कहानी लिखने हेतु कथा-वस्तु का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक होता है, जिससे वह सभी घटनाक्रमों को निरंतर रूप से क्रमबद्ध लिख सके।
एक लेखक पाठकों को नैतिक संदेश देने के लिए अपनी कल्पना और विचारों को कहानी के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करता है।
कहानी किसे कहते हैं?
कहानी का शाब्दिक अर्थ है कहना। जो कुछ भी कहा जाये, कहानी है: किन्तु विशिष्ट अर्थ में किसी रोचक घटना का वर्णन कहानी है। कहानी के अनिवार्य लक्षण हैं- (1) गद्य में रचित होना। (2) मनोरंजन या कौतुहल वर्धक होना। (3) अंत में किसी चमत्कारपूर्ण घटना की योजना।
विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा (Moral) को उजागर करने वाली कहानी लिखने के लिए कहा जा सकता है। छात्रों में कहानी लेखन करने हेतु निम्न बिन्दुओं को शामिल करना अत्यंत आवश्यक होगा
कहानी लिखते समय इन बातो को ध्यान रखना चाहिए।
कथावस्तु (Plot) को भली-भांति समझने हेतु संकेतों (outlines) को बार-बार पढना आवश्यक होगा।
- संकेतानुसार प्रमुख घटनाओं को क्रमबद्ध लिखें।
- कहानी को हमेशा past time में लिखें, चाहे outlines presenttense में ही क्यों न दे रखी हों।
- कहानी लेखन में सरल व सहज भाषा का प्रयोग करना चाहिए जिससे पाठक आशानी से समझ सके।
- सुन्दर एवं आकर्षण कहानी लिखने हेतु वार्तालाप का ढंग अपनाया जा सकता है।
- कहानी में मुहावरे तथा लोकोक्तियों का प्रयोग करके और भी रोमांचक बनाया जा सकता है।
- यदि हमें घटना क्रम के बिन्दुओं को एक-दूसरे से मिलाना हो तो अपनी कल्पनाशक्ति का प्रयोग भी कर सकते हैं।
- किसी भी कहानी का उचित शीर्षक होना अत्यंत आवश्यक होता है।
- कहानी के अंत में नैतिक शिक्षा अवश्य लिखनी चाहिए।
- यदि कहानी पूरी हो जाए तो दुबारा अवस्य दोहराएं जिससे ग्रामर और spellings की अशुद्धियों को सुधारा जा सके।
Hindi stories writing examples
नैतिक शिक्षा पर आधारित एक ख़रगोश और शिकारी भेड़िया की कहानी जो हमें मुस्किल परिस्थितियों का सामना करना सिखाती है। प्रस्तुत कहानी पंचतंत्र से ली गयी है।
ख़रगोश और शिकारी भेड़िया
एक जंगल में एक खरगोश रहता था। वह रोज हर शाम को खुले मैदान में घूमता और हरी घास खाया करता था। एक दिन एक भेड़िये की नजर खरगोश पर पड़ी, वह खरगोश का शिकार करने के लिए उसकी तरफ दौरा, पर खरगोश जैसे – तैसे जान बचा कर वहाँ से भाग निकला।
बेचारा खरगोश इतना डर गया की वह दो-तीन तक मैदान में घास चरने नहीं गया। एक दिन जब ख़रगोश फिर से घास चरने गया, उसनें थोड़ी घास खायी की फिर से वही भेड़िया आ पंहुचा। खरगोश इस बार भी जान बचा कर भाग गया।
अब वह उस भेड़िये से पदेशान होकर एक बरगद के पेड़ के पास गया और अपनी समस्या उस पेड़ को सुनायी। उस अनुभवी पेड़ ने कहा कि मैं यहां वर्षों से खड़ा हूँ, मैनें यही देखा हैं कि जो खरगोश डर जाते हैं, और दौड़ते समय किसी झाड़ी में फंस जाते हैं। भेड़िया सिर्फ उन्हीं का शिकार कर पाते हैं, क्योंकि खरगोश के दौड़ने की गति भेड़िया से बहुत ज्यादा हैं।
अगर तुम उससे डरना बंद कर दो तो वह तुम्हें कभी भी पकड़ नहीं पायेगा। उस दिन के बाद वह भेड़िया कितनी भी कोशिस करता रह गया लेकिन वह कभी भी ख़रगोश को पकड़ नहीं सका।
शिक्षा – जिसे अपने आप पर भरोसा होता हैं , दुश्मन उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता हैं।
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