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Doordarshan – दूरदर्शन पर निबंध, आविष्कार, इतिहास तथा टिप्पणी

Doordarshan history in hindi

दूरदर्शन

दूरदर्शन विज्ञान का एक अनुपम उपहार है। इसने मानव जीवन में एक हलचल पैदा कर दी है और समाज को थोड़े ही समय में तीव्र गति से विकास की ओर अग्रसर किया है।

दूरदर्शन (Doordarshan) क्या है? इसका शुभारम्भ कब हुआ दूरदर्शन का अविष्कार किसने किया था? तथा इसकी देन, लाभ, निबंध आदि पर विशेष टिप्पणी विस्तार से जाने।

प्रस्तावना – दिवस के अवसान और सन्ध्या के समय सुबह से शाम तक थका हुआ मानव शारीरिक विश्राम के साथ मानसिक आराम भी चाहता है जिससे उसकी थकान मिट जाये और मन पुलकित हो उठे। इसके लिए वह जो भी उपाय अपनाता है उसे कहते हैं मनोरंजन मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनोरंजन के साधनों में भी परिवर्तन हुए हैं। पहले कुछ दृश्य साधन थे, कुछ श्रव्य। या तो वह तस्वीरें देखता था या रेडियो, टेप सुनता। घर बैठे या लेटे-लेटे -यदि मनोरंजन हो तो क्या बात है ? प्राचीनकाल में धृतराष्ट्र अपने महल में बैठे-बैठे जैसे संजय द्वारा कुरुक्षेत्र के मैदान का आँखों देखा हाल सुनते थे वैसे ही दूरदर्शन के आविष्कार से हमें भी यह दृश्य-श्रव्य उपकरण लाभ पहुँचाता है।

विज्ञान की अपूर्व देन

दूरदर्शन विज्ञान का एक अनुपम उपहार है। इसने मानव जीवन में एक हलचल पैदा कर दी है और समाज को थोड़े ही समय में तीव्र गति से विकास की ओर अग्रसर किया है। संसार सिमटकर छोटा हो गया है। अब हम विश्वभर की घटनाएँ अपने कमरे में देख सकते हैं, सुन सकते हैं।

दूरदर्शन का आविष्कार

दूरदर्शन का आविष्कार सर्वप्रथम जॉन लागी बेअर्ड महोदय ने 1926 में किया था। ये स्कॉटलैण्ड के रहने वाले थे। इन्होंने ठेली कैमरे का आविष्कार किया तथा इसका सफल प्रदर्शन कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। यह फोटो इलेक्ट्रिक सेल की सहायता से कार्य करता है। रेडियो तरंगों की भाँति ही प्रकाश को विद्युत तरंगों में रूपान्तरित कर दूर तक प्रसारित किया जाता है और रिसीविंग सेट उसे ग्रहण करके प्रकाश में चित्रों को परिवर्तित। कर स्क्रीन या परदे पर उतार देता है। पहले ये दृश्य काले, सफेद हुआ करते थे। अब ये रंगीन दृश्य संसार में कहीं भी देखे जा सकते हैं। जीवन्त प्रसारण में तत्कालीन दृश्य ज्यों के त्यों प्रसारित किये जाते हैं।

भारतवर्ष में दूरदर्शन का प्रथम शुभारम्भ

हमारे देश में दूरदर्शन का प्रथम प्रसारण 1958 मे दिल्ली में हुआ। उस समय दिल्ली में औद्योगिक एवं विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। उस समय भारतीयों के लिए यह एक कौतुक भरी घटना थी। धीरे-धीरे इसका प्रचार-प्रसार होता गया। बाद में 1972 में मुम्बई में, 1973 में कश्मीर में दूरदर्शन केन्द्रों की स्थापना हुई। मध्य देश में 1978 में छत्तीसगढ़ जिले में दरदर्शन आया तथा उप द्वारा कार्यक्रमों का प्रसारण हुआ। उन दिनों अधिकांश कार्यक्रम शैक्षिक और ग्रामीण जीवन पर आधारित होते थे।

दूरदर्शन से लाभ

दूरदर्शन के अनेक लाभ है, मुख्यतः इसके कुछ उद्देश्य स्पष्ट है। सर्वप्रथम यह मनोरंजन का प्रमुख साधन है। इससे हमें ध्वनि, प्रकाश और फोटोमाफी का चमत्कार देखने को मिलता है। दूरदर्शन को निरन्तर हुई लोकप्रियता का कारण यह है कि इसमें समाज के प्रत्येक वर्ग आयु और व्यवसाय के अनुरूप अनेक कार्यक्रमों का प्रसारण होता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी रुचि और आवश्यकता होती है और दूरदर्शन ही एक ऐसा साधन जो प्रातः से अर्द्धरात्रि तक अपने कार्यक्रमों के माध्यम से सभी की जरूरतें पूरी करता है। बच्चों किशोर, औढ़, बुजुर्ग और महिलाओं के लिए अलग-अलग कार्यक्रम है। इसी प्रकार भिन्न एवं रुचि वाले लोगों की भी मनोरंजन-तृप्ति दूरदर्शन से ही होती है।

विभिन्न वर्गों के लिए लाभप्रद

बच्चों के लिए कार्टून फिल्में, किशोरों के लिए प्रश्न- मंच आदि कार्यक्रम छात्रों के लिए यू.जी.सी. तथा इन्दिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के शैक्षिक कार्यक्रम, विज्ञान, इतिहास, राजनीति से सम्बन्धित कार्यक्रम। देश-विदेश में खेले जा रहे अनेक प्रकार को खेल प्रतियोगिताओं का जीवन्त प्रसारण। गीत, नृत्य या फिल्मी संगीत में रुचि रखने वालों के लिए कार्यक्रम। साहित्यिक रुचि वालों के लिए मुशायरा, कवि सम्मेलन, साहित्यकारों का परिचय परिचर्चा का प्रसारण महिलाओं की प्रगति एवं जागृति के अनेक कार्यक्रम प्रामीण से लेकर शहरी महिलाओं के लिए अनेकानेक प्रकार के हस्तशिल्प उद्योग-धन्धों की जानकारी। भोजन या विविध व्यंजनों को बनाने की विधियों पर आधारित कई कार्यक्रम, घरेलू दवाओं, नुस्खों का ज्ञान। बुजुर्गों के लिए धार्मिक सन्त महात्माओं के प्रवचन। आप घर बैठे सत्संग का लाभ उठा सकते हैं।

राजनीति में रुचि रखने वालों के लिए वो दूरदर्शन जीवन का एक आवश्यक अंग बन गया है। देश-विदेश की खबरें, चुनाव चर्चा, सभी पार्टियों का आंकलन क्रिया-कलाप और समस्त राजनैतिक व्यक्तियों की समग्र जानकारी हमें दूरदर्शन से प्राप्त होती है। कहा जाता है कि केवल सुनकर बात हृदयंगम नहीं होती। यदि वह दिखायी दे तो सहजता से होती है। अतः छात्रों को यदि दूरदर्शन के माध्यम से शिक्षा दी जाय तो अधिक लाभ होगा। शासन यदि अधिक से अधिक शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण करे। विभिन्न प्रकार की मौसम सम्बन्धी जानकारी हमें प्राप्त होती है। आंधी तूफान वर्षा भूकम्प आदि से सम्बन्धित पूर्व सूचनाएँ हमें दूरदर्शन से मिलती हैं।

मनोरंजन का सुलभ साधन

यह मनोरंजन का सबसे सस्ता एवं सुविधाजनक उपकरण है। अफगान अमेरिका का युद्ध हो या जापान की जीवन झाँकी, ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मैच हो मा ओलम्पिक, देश में गणतन्त्र दिवस की परेड हो या चुनाव की हलचल सभी कुछ दूरदर्शन पर देखना मुलभ है। दूरदर्शन में विज्ञापनों के माध्यम से हमें अनेकानेक नवीन उपकरणों और वस्तुओं के आविष्कार की जानकारी मिलती है। यह विज्ञान का सशक्त जरिया है। इससे व्यापार | बढ़ाने के अवसर मिलते हैं।

भावात्मक एकता का पोषक

दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों से सामाजिक सुधार को दिशा मिलती है। सभी धर्मों के त्यौहारों का सजीव दृश्य हम दूरदर्शन के माध्यम से देखकर जानकारी प्राप्त करते हैं, इससे भावनात्मक एकता सुदृढ़ होती है। कई कार्यक्रम तो इतने लोकप्रिय हुए कि सभी धर्म, जाति तथा उम्र के लोग उसे बड़े चाव से देखते थे, जैसे-रामायण, श्रीकृष्ण, महाभारत, टीपू सुल्तान आदि। इनके प्रसारण के समय शहर सुनसान हो जाता था। आज का किशोर दूरदर्शन के कार्यक्रमों को देखने में व्यस्त हो जाता है तो समाज में अपराध और लड़ाई-झगड़े कम होते हैं। किसी वस्तु को हम पूरी तरह से अच्छा या बुरा नहीं कह सकते। हम उसका उपयोग किस प्रकार करते हैं उस पर उसकी महत्ता निर्भर करती है। दूरदर्शन से जहाँ अनेक लाभ हैं वहाँ कुछ हानि भी हैं। किन्तु यदि छात्र यह बात ध्यान में रखें कि ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’ । यानि हर समय दूरदर्शन के सामने न बैठे रहें, उससे आँखों पर तो बुरा प्रभाव पड़ता है, साथ ही समय भी नष्ट होता है और अनेक जरूरी काम रह जाते हैं। इसलिए वे अपनी रुचि और उपयोगिता के अनुसार कुछ कार्यक्रम पसन्द कर लें और केवल उन्हीं को देखें। विज्ञान तथा सामान्य ज्ञान के प्रश्न मंच तथा परिचर्चा देखें। शैक्षिक प्रसारण से लाभ लें।

उपसंहार – यदि दूरदर्शन पर स्वस्थ, शालीन कार्यक्रमों का प्रसारण हो तो ऐसे उपयोगी ज्ञानवर्द्धक सूचनाओं से गुणात्मक विकास होगा। विवेक और संयम से तथा अभिभावकों की अनुमति तथा सलाह से यदि छात्र दूरदर्शन का उपयोग करेंगे तो वह उनकी जीवन की प्रगति में सहायक होगा।

FAQs

दूरदर्शन का पहला प्रसारण कब हुआ?

हमारे देश में दूरदर्शन का प्रथम प्रसारण 1958 मे दिल्ली में हुआ। उस समय दिल्ली में औद्योगिक एवं विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

दूरदर्शन का संस्थापक कौन है?

दूरदर्शन का आविष्कार सर्वप्रथम जॉन लागी बेअर्ड महोदय ने 1926 में किया था। ये स्कॉटलैण्ड के रहने वाले थे।

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