इस नियम के आनुसार, ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है, केवल उसका रूपान्तरण होता है। इस प्रकार ब्रम्हांड में सम्पूर्ण ऊर्जाओं का कुल योग नियत रहता है। यह प्रकृति का एक मूलभूत नियम है। Read in English
वास्तव में ऊर्जा का विनाश नहीं होता केवल उसका रूपांतरण होता है। जब ऊर्जा किसी एक रूप में लुप्त होती है तो ठीक उतनी ही ऊर्जा अन्य रूप या रूपों में प्रकट हो जाती है। इस प्रकार जब एक निकाय ऊर्जा खोता है तो दूसरा निकाय इस प्रकार की ऊर्जा प्राप्त करता है कि दोनों निकायों की कुल ऊर्जा नियत रहती है। नीचे ऊर्जा रूपान्तर के कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं-
- जब विद्युत शक्ति जनित्र में बांध के पानी को अधिक ऊँचाई से गिराकर उसकी स्थितिज ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, जिसमें विद्युत ऊर्जा उत्पन्न हो जाती है।
- घडी में चाबी भरने में किया गया कार्य उनके स्प्रिंग में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहता है।
- सेलों में रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में प्रकाश का विद्युत ऊर्जा में, विद्युत-हीटर या भट्ठी में विद्युत ऊर्जा का उष्मीय ऊर्जा में, विद्युत मोटर या पंखे में विद्युत ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में, लाउडस्पीकर में विद्युत ऊर्जा का ध्वनि ऊर्जा में, डायनेमो में यांत्रिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण होता है।
ऊर्जा का क्षय
ऊर्जा के रूपान्तरण में ऊर्जा का एक भाग ऐसे रूप में बदल जाता है जिसमें हम लाभकारी नहीं ले सकते। ऊर्जा का यह भाग व्यर्थ चला जाता है। इसे ही ऊर्जा का क्षय या अपव्यय कहते हैं।
उदाहरण – ट्रांसफार्मर के क्रोड से भँवर-धाराएँ उत्पन्न होने से विद्युत ऊर्जा का ऊस्मीय ऊर्जा में अपव्यय होने लगता है।